Thursday 13 October 2022

भारतीय संविधान भाग 1


भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिन में किया गया.

संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना के प्रावधानों के अनुसार अप्रत्यक्ष रूप से राज्यों के विधान-सभाओं द्वारा नवम्बर 1946 में किया गया था.

संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे, जिनमें 292 प्रांतों से तथा 93 देशी रियासतों से चुने जाने थे. 4 सदस्य कमीश्नरी क्षेत्र के थे.

प्रांतीय विधान सभा में प्रत्येक समुदाय के सदस्यों ने एकल सक्रंमणीय पद्धति के आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन किया.

देशी रियासतों से चयन की पद्धति परामर्श से तय की जानी थी.

3 जून, 1947 की योजना के अधीन पाकिस्तान के लिए पृथक संविधान सभा गठित की गयी.

महात्मा गांधी ने 1922 में ‘स्वराज’ का अर्थ समझाते हुए यह संकेत दिया था कि भारत के लिए भारतीय ही संविधान बनायेंगे.

1929 के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया था.

सर्वप्रथम 1914 में संविधान सभा की मांग की गयी. स्वराज पार्टी ने मई 1934 में तथा कांग्रेस ने फैजपुर अधिवेशन में इस मांग को दुहराया.

1942 में क्रिप्स प्रस्ताव में संविधान सभा की मांग को स्वीकार किया गया.

संविधान सभा में जनसंख्या के आधार पर (लगभग 10 लाख पर एक) प्रतिनिधि निर्धारित किए गये थे.

संविधान निर्माण के लिए 60 देशों के संविधानों का अध्ययन किया गया.

विभाजन के बाद संविधान सभा की सदस्य संख्या 299 रह गयी, जिनमें से 284 सदस्यों ने 26 नवम्वर, 1949 को संविधान पर हस्ताक्षर किए.

संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई थी.

प्रथम बठैक की अध्यक्षता डा. सच्चिदानदं सिन्हा ने की थी तथा मुस्लिम लीग ने इसका बहिष्कार किया था.

11 दिसम्बर, 1946 को डा. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया.

श्री बी.एन. राव को संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार पद पर नियुक्त किया गया.

13 दिसम्बर, 1946 को जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा का ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ प्रस्तुत कर संविधान निर्माण का कार्य करना प्रारंभ किया. यह प्रस्ताव संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी, 1947 को पारित कर दिया गया.

संविधान निर्माण के लिए विभिन्न समितियां जैसे-प्रक्रिया समिति, वार्ता समिति, संचालन समिति, कार्य समिति, संविधान समिति, झंडा समिति, प्रारूप समिति आदि का निर्माण किया गया.

विभिन्न समितियों में प्रमुख प्रारूप समिति जो कि 19 अगस्त, 1947 को बनी थी, के अध्यक्ष डा.बी.आर. अम्बेडकर को बनाया गया. इस समिति के अन्य सदस्य थे- एन. गोपाल, स्वामी आयंगर, अल्लादि कृष्ण स्वामी अय्यर, मोहम्मद सादुल्ला, के.एममुंशी, बी. एल मित्तर तथा डी.पी. खेतान. कुछ समय बाद बी.एल. मित्तर के स्थान पर एन. माधव राव तथा डी.पी. खेतान की मृत्यु के बाद टी.टी. कृष्णामाचारी को इस समिति में सम्मिलित कर लिया गया.

संविधान सभा की बैठक का तृतीय आरै अंतिम वाचन 14 नवम्बर, 1949 को हुआ. यह बैठक 26 नवम्बर, 1949 को समाप्त हुई.

26 नवम्बर, 1949 को ही अंतिम पारित संविधान पर सभापति तथा उपस्थित सदस्यों के हस्ताक्षर हुए. इसी दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार कर लिया.

नागरिकता, निर्वाचन और अन्तरिम संसद से सबंधित उपबंधों को तथा अस्थायी एवं संक्रमण उपबंधों को 26 नवम्बर, 1949 से ही तुरंत प्रभावी किया गया.

सम्पूर्ण संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया. 26 जनवरी, 1950 को ही भारत को गणतंत्र घोषित किया गया.

डा. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया. संविधान सभा को ही आगामी ससंद के चुनाव तक भारतीय ससंद के रूप में मान्यता दी गयी.
डा.बी.आर. अम्बडेकर को ‘ संवधान का पिता’ (Father of constitution) कहा जाता है.

भारतीय संविधान विश्व का सबसे लम्बा लिखित संविधान है.

भारतीय संविधान में प्रस्तावना के अतिरिक्त 395 अनुच्छेद तथा 8 अनुसूचियां थीं.

संविधान की उद्देशिका (प्रस्तावना) में संविधान के ध्येय और उसके आदर्शों का संक्षिप्त वर्णन है. जहां संविधान की भाषा संदिग्ध होती है वहाँ उद्देशिका की सहायता ली जाती है.

उद्देशिका को संविधान की कुंजी भी कहा जाता है.

उद्देशिका को न्यायालय में प्रवर्तित नहीं किया जा सकता है.

भारत को 26 जनवरी, 1950 को एक गणराज्य (Republic) घोषित किया गया, जिसका तात्पर्य है कि भारत का राष्ट्राध्यक्ष निर्वाचित होगा, आनुवंशिक नहीं.

उद्देशिका में “समाजवादी”, “धर्मनिरपेक्ष” एवं “अखंडता” शब्द 1976 में 42वें संशोधन द्वारा जोड़े गये हैं.

समाजवादी शब्द का अर्थ समाजवादी राज्य अर्थात् सभी उत्पादन एवं वितरण के साधनों का राष्ट्रीयकरण नहीं है. बल्कि गरीब एवं अमीर के बीच दूरी को कम करना है.

“पन्थनिरपेक्ष” का अर्थ सरकार द्वारा सभी धर्मों का समान संरक्षण एवं सम्मान करना है.

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